इंटरनेट



इसका पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है इसे विन्ट कर्फ़  ने वर्ष 1950 शुरू किया था। विन्ट कर्फ़ को इंटरनेट का जनक कहा जाता है। इंटरनेट नेटवर्को का मुखिया है जिसमे लाखो सार्वजनिक लोकल से ग्लोबल स्कोप वाले नेटवर्क होते है।

सामान्यतः नेटवर्क दो या दो से अधिक कंप्यूटर सिस्टमो को आपस मे जोड़कर बनाया गया एक समूह है।

इंटरनेट पर उपलब्ध डेटा प्रोटोकॉल द्वारा नियंत्रित किया जाता है। TCP/IP द्वारा एक फ़ाइल को कई छोटे भागो में फ़ाइल सर्वर द्वरा बाटा जाता हैं।जिन्हें पैकेट्स कहा जाता है ।इंटरनेट पर सभी कंप्यूटर इसी प्रोटोकॉल का प्रयोग करके वार्तालाप करते है।


इंटरनेट का इतिहास:

वर्ष 1969 में , लॉस एंजेलिस में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया तथा यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा ARPANET के माध्यम से शुरुआत के रूप में जुड़े। इस परियोजना का लक्ष्य विभिन्न विद्यालयों तथा अमिरिकी रक्षा मंत्रालय के कंप्यूटरो को आपस मे जोड़ना था। यह दुनिया का पहला पैकेट स्विटचिंग नेटवर्क था।

80 के दशक में, एक और संघीय ऐजेंसी राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन ने एक नया उच्च क्षमता वाला नेटवर्क NSFnet बनाया जो ARPANET से अधिक सक्षम था।NSFnet में केवल यही कमी थी की वह अपने नेटवर्क पर केवल शैक्षिक अनुसंधान की ही अनुमति देता था, किसी भी प्रकार के निजी व्यापार की अनुमति नही। इसी कारण निजी संगठनो ,तथा लोगो ने अपने खुद के नेटवर्क का निर्माण करना शुरु कर दिया।जिसने बाद में ARPANET तथा NFSnet से जुड़कर इंटरनेट का निर्माण किया।


इंटरनेट आर्किटेक्चर के बेसिक :

इंटरनेट इंटरकनेक्टेड कंप्यूटर नेटवर्क का एक ग्लोबल सिस्टम है जिसमे LANs ,WANs आदि सम्मिलित होते है।  ये सभी यूजर को सर्व करने के लिए स्टैंडर्ड इंटरनेट सुइट (Suit) TCP/IP का प्रयोग करते है। इंटरनेट  आर्किटेक्चर में चार लेयर होती है-

एप्लीकेशन सर्विसेस , सर्विस प्रोवाइडर प्रोटोकॉल(TCP), इंटरनेट वर्किंग ,सबनेटवर्कस


1.सुबनेटवर्क लेयर:

इस नेटवर्क में LAN से जुडी सभी डिवाइस स्वतंत्र होती है। इसे सबनेटवर्क कहते है।  


2.इण्टरनेटवर्किंग लेयर: 

यह लेयर सबनेटवर्क से ऊपरी लेयर है। जो गेटवे के द्वारा नेटवर्क के बीच संचार की सुविधा प्रदान करती है। प्रत्येक सबनेटवर्क को इंटरनेटवर्क के अन्य सुबनेटवर्क से जुड़ने के लिए गेटवे के पप्रयोग किया जाता है। इटरनेवर्क लेयर वह लेयर है जहा डाटा गेटवे से जब तक स्थानांतरित होता है तब तक वह अपनी डेस्टिनेशन तक पहुंच नहीं जाता और सबनेवर्क लेयर से गुजर नहीं जाता। यह इंटरनेट प्रोटोकॉल को रन कराती है। 


3. सर्विस प्रोवाइडर प्रोटोकॉल लेयर:

सर्विस प्रोवाइडर प्रोटोकॉल लेयर नेटवर्क के सभी एन्ड टू एन्ड संचार के लिए जिम्मेदार है। यह लेयर TCP और अन्य प्रोटोकॉल को रन कराती है। यह डाटा ट्रैफिक के परवाह को स्वयं संभालती है और स्थानांतरण के लिए सन्देश की विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है। 


4. एप्लीकेशन सर्विस लेयर:

यह लेयर एप्लीकेशन के लिए यूजर इंटरफ़ेस का समर्थन कराती है। 


इंटरनेट पर सर्विसेज:

इंटरनेट पर सेविसेस को मुख्य रूप से तीन भागो में बाटा जा सकता है-

1. WWW और वेबसाइटस:


i. वर्ल्ड वाइड वेब:

वर्ल्ड वाइड वेब(WWW) विशेष रूप से स्वरूपित डॉक्यूमेंट का समर्थन करने वाले इंटरनेट सर्वर की एक प्रणाली है। इसे सबसे पहले इसका उपयोग  13 मार्च 1998 को किया गया था। इसमें डॉक्यूमेंट HTML(हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज) में फॉर्मटेड होते है तथा किसी दूसरे डॉक्यूमेंट के लिए लिंक,साथ ही ऑडिओज और वीडियो फाइल का भी समर्थन करते है। 

ii. वेब पेज:

वेब बहुत सारे कंप्यूटर डॉक्यूमेंट या वेब पेजो का संग्रह है। ये डॉक्यूमेंट HTML में लिखे जाते है तथा वेब ब्राउज़र के द्वारा इसे देखा जा सकता है। 
ये दो प्रकार के होते है-स्टैटिक(Static) तथा डायनामिक (Dynamic).  स्टैटिक वेब पेज हर बार एक्सेस करने पर एक ही सामग्री दिखाते है तथा डायनामिक वेब पेज की सामग्री हर बार बदल सकती है। 

iii. वेबसाइट:

 वेबसाइट कई वेब पेजो का एक सामूहिक संग्रह होता है। जिसमे सभी वेब पेज हाइपरलिंक द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते है।  किसी भी वेबसाइट का पहला पेज वेब पेज कहलाता है।  जैसे- www.computerhidninotes.ooo

iv. वेब ब्राउज़र:

वेब ब्राउज़र एक प्रकार का एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है। इसके सहायता से वर्ल्ड वाइड वेब(WWW) पर मौजूद किसी भी कंटेंट या वेबसाइट को ढूढने व उसे प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। 

(V) वेब सर्वर: