लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम :
लिनक्स (Unix) पर आधारित एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसकी शुरुआत लाइनस टारवाल्ड ने की थी। सबसे पहले ऐसे वर्ष 1991 में रिलीज किया गया। इसमें यूनिक्स तथा अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं उपलब्ध है। लिनक्स के सभी संशकरण इंटरनेट पर उपलब्ध है जिसे इंटरनेट के माध्यम से बिना किसी शुल्क के डाउनलोड किया जा सकता है।
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं :
1. यह एक मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है।
2. एप्लीकेशन क्रैश होने पर भी लिनक्स को दोबारा चालू नहीं करना पड़ता है।
3. लिनक्स वायरस के आक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित है।
4. इसमें DOS आधारित प्रोग्रामो को भी DOS Emulator की सहयता से चलाया जा सकता है।
5. लिनक्स एक मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम है।
6. लिनक्स एक GUI (Graphical User Interface) आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर है।
7.यह 32 bit वाला ओप्रटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर है।
8. लिनक्स में अपाचे वेब सर्वर प्रोग्राम भी उपलब्ध होता है।
लिनक्स की कमिया:
इसमें विशेषताओं के साथ साथ कुछ कमिया भी है -
1. इसमें सभी आदेशों को प्रारूप सहित याद रखना पड़ता है।
2. इसमें किसी भी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल या अनइंस्टाल करना बहुत ही कठिन कार्य है।
3. लिनक्स में हार्डवेयर को जोड़ना भी बहुत ही ;कठिन कार्य है। क्योकि इसमें नया हार्डवेयर जोड़ने के लिए ड्राइवर हार्डवेयर निर्माता को ही की तैयार करना पड़ता है।
4. लिनक्स में कमांड देते समय यदि कोई भी लेटर कैपिटल हो जाता है तो कमांड गलत हो जायेगा अर्थात इसमें थोड़ी सी भी गलती हो जाने पर कमांड गलत हो जायेगा।
लिनक्स के तत्व:
लिनक्स के तीन मुख्य भाग होते है -
1. कर्नेल(Kernel) कर्नेल लिनक्स का मुख्य भाग होता है, जो अन्य प्रोग्राम तथा हार्डवेयर को संचालित करता है।
2. शैल(Shall) शैल एक प्रोग्राम है,जो यूजर द्वारा दी गयी कमांड्स की व्याख्या करता है।
3. फाइल सिस्टम (File System) इनमे फाइलो को डायरेक्टरी के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है।
लिनक्स फाइल सिस्टम के कुछ फाइल एवं कमांड:
रूट(Root):
रुट डायरेक्टरी से किसी एक फाइल से अतिरिक्त फाइल तक पहुंचने में जिन-जिन डिरेक्टरी से होकर जाना पड़ता है, उन सबकी सूचि को उस फाइल का पाथ कहते है। लिनक्स के आदेशो में कई बार पाथ को देने की आवश्यकता होती है।
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